قَالُوْا يٰصٰلِحُ قَدْ كُنْتَ فِيْنَا مَرْجُوًّا قَبْلَ هٰذَآ اَتَنْهٰىنَآ اَنْ نَّعْبُدَ مَا يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُنَا وَاِنَّنَا لَفِيْ شَكٍّ مِّمَّا تَدْعُوْنَآ اِلَيْهِ مُرِيْبٍ ( هود: ٦٢ )
Qaloo ya salihu qad kunta feena marjuwwan qabla hatha atanhana an na'buda ma ya'budu abaona wainnana lafee shakkin mimma tad'oona ilayhi mureebun (Hūd 11:62)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन्होंने कहा, 'ऐ सालेह! इससे पहले तू हमारे बीच ऐसा व्यक्ति था जिससे बड़ी आशाएँ थीं। क्या तू हमें उनको पूजने से रोकता है जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते रहे है? जिनकी ओर तू हमें बुला रहा है उसके विषय में तो हमें संदेह है जो हमें दुविधा में डाले हुए है।'
English Sahih:
They said, "O Saleh, you were among us a man of promise before this. Do you forbid us to worship what our fathers worshipped? And indeed we are, about that to which you invite us, in disquieting doubt." ([11] Hud : 62)