وَلَآ اَقُوْلُ لَكُمْ عِنْدِيْ خَزَاۤىِٕنُ اللّٰهِ وَلَآ اَعْلَمُ الْغَيْبَ وَلَآ اَقُوْلُ اِنِّيْ مَلَكٌ وَّلَآ اَقُوْلُ لِلَّذِيْنَ تَزْدَرِيْٓ اَعْيُنُكُمْ لَنْ يُّؤْتِيَهُمُ اللّٰهُ خَيْرًا ۗ اَللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا فِيْٓ اَنْفُسِهِمْ ۚاِنِّيْٓ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ( هود: ٣١ )
Wala aqoolu lakum 'indee khazainu Allahi wala a'lamu alghayba wala aqoolu innee malakun wala aqoolu lillatheena tazdaree a'yunukum lan yutiyahumu Allahu khayran Allahu a'lamu bima fee anfusihim innee ithan lamina alththalimeena (Hūd 11:31)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और मैं तुमसे यह नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़जाने है और न मुझे परोक्ष का ज्ञान है और न मैं यह कहता हूँ कि मैं कोई फ़रिश्ता हूँ और न उन लोगों के विषय में, जो तुम्हारी दृष्टि में तुच्छ है, मैं यह कहता हूँ कि अल्लाह उन्हें कोई भलाई न देगा। जो कुछ उनके जी में है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। (यदि मैं ऐसा कहूँ) तब तो मैं अवश्य ही ज़ालिमों में से हूँगा।'
English Sahih:
And I do not tell you that I have the depositories [containing the provision] of Allah or that I know the unseen, nor do I tell you that I am an angel, nor do I say of those upon whom your eyes look down that Allah will never grant them any good. Allah is most knowing of what is within their souls. Indeed, I would then be among the wrongdoers [i.e., the unjust]." ([11] Hud : 31)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और मै तो तुमसे ये नहीं कहता कि मेरे पास खुदाई ख़ज़ाने हैं और न (ये कहता हूँ कि) मै ग़ैब वॉ हूँ (गैब का जानने वाला) और ये कहता हूँ कि मै फरिश्ता हूँ और जो लोग तुम्हारी नज़रों में ज़लील हैं उन्हें मै ये नहीं कहता कि ख़ुदा उनके साथ हरगिज़ भलाई नहीं करेगा उन लोगों के दिलों की बात ख़ुदा ही खूब जानता है और अगर मै ऐसा कहूँ तो मै भी यक़ीनन ज़ालिम हूँ