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فَقَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ مَا نَرٰىكَ اِلَّا بَشَرًا مِّثْلَنَا وَمَا نَرٰىكَ اتَّبَعَكَ اِلَّا الَّذِيْنَ هُمْ اَرَاذِلُنَا بَادِيَ الرَّأْيِۚ وَمَا نَرٰى لَكُمْ عَلَيْنَا مِنْ فَضْلٍۢ بَلْ نَظُنُّكُمْ كٰذِبِيْنَ  ( هود: ٢٧ )

So said
فَقَالَ
तो कहा
the chiefs
ٱلْمَلَأُ
सरदारों ने
(of) those who
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया था
from
مِن
उसकी क़ौम में से
his people
قَوْمِهِۦ
उसकी क़ौम में से
"Not
مَا
नहीं
we see you
نَرَىٰكَ
हम देखते तुझे
but
إِلَّا
मगर
a man
بَشَرًا
एक इन्सान
like us
مِّثْلَنَا
अपने जैसा
and not
وَمَا
और नहीं
we see you
نَرَىٰكَ
हम देखते तुझे
followed [you]
ٱتَّبَعَكَ
कि पैरवी की तेरी
except
إِلَّا
मगर
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
[they]
هُمْ
वो
(are) the lowest of us
أَرَاذِلُنَا
कमतर हैं हमसे
immature in opinion
بَادِىَ
बज़ाहिर
immature in opinion
ٱلرَّأْىِ
देखने में
And not
وَمَا
और नहीं
we see
نَرَىٰ
हम देखते
in you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
over us
عَلَيْنَا
अपने ऊपर
any
مِن
कोई फ़जीलत
merit
فَضْلٍۭ
कोई फ़जीलत
nay
بَلْ
बल्कि
we think you
نَظُنُّكُمْ
हम समझते हैं तुम्हें
(are) liars"
كَٰذِبِينَ
झूठे

Faqala almalao allatheena kafaroo min qawmihi ma naraka illa basharan mithlana wama naraka ittaba'aka illa allatheena hum arathiluna badiya alrrayi wama nara lakum 'alayna min fadlin bal nathunnukum kathibeena (Hūd 11:27)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इसपर उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया था, कहने लगे, 'हमारी दृष्टि में तो तुम हमारे ही जैसे आदमी हो और हम देखते है कि बस कुछ ऐसे लोग ही तुम्हारे अनुयायी है जो पहली स्पष्ट में हमारे यहाँ के नीच है। हम अपने मुक़ाबले में तुममें कोई बड़ाई नहीं देखते, बल्कि हम तो तुम्हें झूठा समझते है।'

English Sahih:

So the eminent among those who disbelieved from his people said, "We do not see you but as a man like ourselves, and we do not see you followed except by those who are the lowest of us [and] at first suggestion. And we do not see in you over us any merit; rather, we think you are liars." ([11] Hud : 27)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो उनके सरदार जो काफ़िर थे कहने लगे कि हम तो तुम्हें अपना ही सा एक आदमी समझते हैं और हम तो देखते हैं कि तुम्हारे पैरोकार हुए भी हैं तो बस सिर्फ हमारे चन्द रज़ील (नीच) लोग (और वह भी बे सोचे समझे सरसरी नज़र में) और हम तो अपने ऊपर तुम लोगों की कोई फज़ीलत नहीं देखते बल्कि तुम को झूठा समझते हैं