وَلَقَدْ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ فَاخْتُلِفَ فِيْهِ ۗوَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۚوَاِنَّهُمْ لَفِيْ شَكٍّ مِّنْهُ مُرِيْبٍ ( هود: ١١٠ )
Walaqad atayna moosa alkitaba faikhtulifa feehi walawla kalimatun sabaqat min rabbika laqudiya baynahum wainnahum lafee shakkin minhu mureebun (Hūd 11:110)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हम मूसा को भी किताब दे चुके है। फिर उसमें भी विभेद किया गया था। यदि तुम्हारे रब की ओर से एक बात पहले ही निश्चित न कर दी गई होती तो उनके बीच कभी का फ़ैसला कर दिया गया होता। ये उसकी ओर से असमंजस में डाल देनेवाले संदेह में पड़े हुए है
English Sahih:
And We had certainly given Moses the Scripture, but it came under disagreement. And if not for a word that preceded from your Lord, it would have been judged between them. And indeed they are, concerning it [i.e., the Quran], in disquieting doubt. ([11] Hud : 110)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और हमने मूसा को किताब तौरैत अता की तो उसमें (भी) झगड़े डाले गए और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हुक्म कोइ पहले ही न हो चुका होता तो उनके दरमियान (कब का) फैसला यक़ीनन हो गया होता और ये लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) भी इस (क़ुरान) की तरफ से बहुत गहरे शक़ में पड़े हैं