فَمَآ اٰمَنَ لِمُوْسٰىٓ اِلَّا ذُرِّيَّةٌ مِّنْ قَوْمِهٖ عَلٰى خَوْفٍ مِّنْ فِرْعَوْنَ وَمَلَا۟ىِٕهِمْ اَنْ يَّفْتِنَهُمْ ۗوَاِنَّ فِرْعَوْنَ لَعَالٍ فِى الْاَرْضِۚ وَاِنَّهٗ لَمِنَ الْمُسْرِفِيْنَ ( يونس: ٨٣ )
Fama amana limoosa illa thurriyyatun min qawmihi 'ala khawfin min fir'awna wamalaihim an yaftinahum wainna fir'awna la'alin fee alardi wainnahu lamina almusrifeena (al-Yūnus 10:83)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर मूसा की बात उसकी क़ौम की संतति में से बस कुछ ही लोगों ने मानी; फ़िरऔन और उनके सरदारों के भय से कि कहीं उन्हें किसी फ़ितने में न डाल दें। फ़िरऔन था भी धरती में बहुत सिर उठाए हुए, औऱ निश्चय ही वह हद से आगे बढ़ गया था
English Sahih:
But no one believed Moses, except [some] offspring [i.e., youths] among his people, for fear of Pharaoh and his establishment that they would persecute them. And indeed, Pharaoh was haughty within the land, and indeed, he was of the transgressors. ([10] Yunus : 83)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
अलग़रज़ मूसा पर उनकी क़ौम की नस्ल के चन्द आदमियों के सिवा फिरऔन और उसके सरदारों के इस ख़ौफ से कि उन पर कोई मुसीबत डाल दे कोई ईमान न लाया और इसमें शक़ नहीं कि फिरऔनरुए ज़मीन में बहुत बढ़ा चढ़ा था और इसमें शक़ नहीं कि वह यक़ीनन ज्यादती करने वालों में से था