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وَلَا يَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْۘ اِنَّ الْعِزَّةَ لِلّٰهِ جَمِيْعًاۗ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ  ( يونس: ٦٥ )

And (let) not
وَلَا
और ना
grieve you
يَحْزُنكَ
ग़मगीन करे आपको
their speech
قَوْلُهُمْۘ
बात उनकी
Indeed
إِنَّ
बेशक
the honor
ٱلْعِزَّةَ
इज़्ज़त
(belongs) to Allah
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
all
جَمِيعًاۚ
सारी की सारी
He
هُوَ
वो
(is) the All-Hearer
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
the All-Knower
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला है

Wala yahzunka qawluhum inna al'izzata lillahi jamee'an huwa alssamee'u al'aleemu (al-Yūnus 10:65)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उनकी बात तुम्हें दुखी न करे, सारा प्रभुत्व अल्लाह ही के लिए है, वह सुनता, जानता है

English Sahih:

And let not their speech grieve you. Indeed, honor [due to power] belongs to Allah entirely. He is the Hearing, the Knowing. ([10] Yunus : 65)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) उन (कुफ्फ़ार) की बातों का तुम रंज न किया करो इसमें तो शक़ नहीं कि सारी इज्ज़त तो सिर्फ ख़ुदा ही के लिए है वही सबकी सुनता जानता है