وَمَا تَكُوْنُ فِيْ شَأْنٍ وَّمَا تَتْلُوْا مِنْهُ مِنْ قُرْاٰنٍ وَّلَا تَعْمَلُوْنَ مِنْ عَمَلٍ اِلَّا كُنَّا عَلَيْكُمْ شُهُوْدًا اِذْ تُفِيْضُوْنَ فِيْهِۗ وَمَا يَعْزُبُ عَنْ رَّبِّكَ مِنْ مِّثْقَالِ ذَرَّةٍ فِى الْاَرْضِ وَلَا فِى السَّمَاۤءِ وَلَآ اَصْغَرَ مِنْ ذٰلِكَ وَلَآ اَكْبَرَ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍ مُّبِيْنٍ ( يونس: ٦١ )
Wama takoonu fee shanin wama tatloo minhu min quranin wala ta'maloona min 'amalin illa kunna 'alaykum shuhoodan ith tufeedoona feehi wama ya'zubu 'an rabbika min mithqali tharratin fee alardi wala fee alssamai wala asghara min thalika wala akbara illa fee kitabin mubeenun (al-Yūnus 10:61)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम जिस दशा में भी होते हो और क़ुरआन से जो कुछ भी पढ़ते हो और तुम लोग जो काम भी करते हो हम तुम्हें देख रहे होते है, जब तुम उसमें लगे होते हो। और तुम्हारे रब से कण भर भी कोई चीज़ छिपी नहीं है, न धरती में न आकाश में और न उससे छोटी और न बड़ी कोई त चीज़ ऐसी है जो एक स्पष्ट किताब में मौजूद न हो
English Sahih:
And, [O Muhammad], you are not [engaged] in any matter and do not recite any of the Quran and you [people] do not do any deed except that We are witness over you when you are involved in it. And not absent from your Lord is any [part] of an atom's weight within the earth or within the heaven or [anything] smaller than that or greater but that it is in a clear register. ([10] Yunus : 61)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(और ऐ रसूल) तुम (चाहे) किसी हाल में हो और क़ुरान की कोई सी भी आयत तिलावत करते हो और (लोगों) तुम कोई सा भी अमल कर रहे हो हम (हम सर वक़त) जब तुम उस काम में मशग़ूल होते हो तुम को देखते रहते हैं और तुम्हारे परवरदिगार से ज़र्रा भी कोई चीज़ ग़ायब नहीं रह सकती न ज़मीन में और न आसमान में और न कोई चीज़ ज़र्रे से छोटी है और न उससे बढ़ी चीज़ मगर वह रौशन किताब लौहे महफूज़ में ज़रुर है