قُلْ اَرَءَيْتُمْ مَّآ اَنْزَلَ اللّٰهُ لَكُمْ مِّنْ رِّزْقٍ فَجَعَلْتُمْ مِّنْهُ حَرَامًا وَّحَلٰلًا ۗ قُلْ اٰۤللّٰهُ اَذِنَ لَكُمْ اَمْ عَلَى اللّٰهِ تَفْتَرُوْنَ ( يونس: ٥٩ )
Qul araaytum ma anzala Allahu lakum min rizqin faja'altum minhu haraman wahalalan qul allahu athina lakum am 'ala Allahi taftaroona (al-Yūnus 10:59)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो, 'क्या तुम लोगों ने यह भी देखा कि जो रोज़ी अल्लाह ने तुम्हारे लिए उतारी है उसमें से तुमने स्वयं ही कुछ को हराम और हलाल ठहरा लिया?' कहो, 'क्या अल्लाह ने तुम्हें इसकी अनुमति दी है या तुम अल्लाह पर झूठ घड़कर थोप रहे हो?'
English Sahih:
Say, "Have you seen what Allah has sent down to you of provision of which you have made [some] lawful and [some] unlawful?" Say, "Has Allah permitted you [to do so], or do you invent [something] about Allah?" ([10] Yunus : 59)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जो कुछ वह जमा कर रहे हैं उससे कहीं बेहतर है (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम्हारा क्या ख्याल है कि ख़ुदा ने तुम पर रोज़ी नाज़िल की तो अब उसमें से बाज़ को हराम बाज़ को हलाल बनाने लगे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या ख़ुदा ने तुम्हें इजाज़त दी है या तुम ख़ुदा पर बोहतान बाँधते हो