Skip to main content

قُلْ بِفَضْلِ اللّٰهِ وَبِرَحْمَتِهٖ فَبِذٰلِكَ فَلْيَفْرَحُوْاۗ هُوَ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُوْنَ  ( يونس: ٥٨ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"In the Bounty
بِفَضْلِ
साथ अल्लाह के फ़ज़ल के
"(of) Allah
ٱللَّهِ
साथ अल्लाह के फ़ज़ल के
and in His Mercy
وَبِرَحْمَتِهِۦ
और उसकी रहमत के
so in that
فَبِذَٰلِكَ
तो उस पर
let them rejoice"
فَلْيَفْرَحُوا۟
पस ज़रूर वो ख़ुश हों
It
هُوَ
वो
(is) better
خَيْرٌ
बेहतर है
than what
مِّمَّا
उससे जो
they accumulate
يَجْمَعُونَ
वो जमा करते हैं

Qul bifadli Allahi wabirahmatihi fabithalika falyafrahoo huwa khayrun mimma yajma'oona (al-Yūnus 10:58)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'यह अल्लाह के अनुग्रह और उसकी दया से है, अतः इस पर प्रसन्न होना चाहिए। यह उन सब चीज़ों से उत्तम है, जिनको वे इकट्ठा करने में लगे हुए है।'

English Sahih:

Say, "In the bounty of Allah and in His mercy – in that let them rejoice; it is better than what they accumulate." ([10] Yunus : 58)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि (ये क़ुरान) ख़ुदा के फज़ल व करम और उसकी रहमत से तुमको मिला है (ही) तो उन लोगों को इस पर खुश होना चाहिए