وَلَوْ اَنَّ لِكُلِّ نَفْسٍ ظَلَمَتْ مَا فِى الْاَرْضِ لَافْتَدَتْ بِهٖۗ وَاَسَرُّوا النَّدَامَةَ لَمَّا رَاَوُا الْعَذَابَۚ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ( يونس: ٥٤ )
Walaw anna likulli nafsin thalamat ma fee alardi laiftadat bihi waasarroo alnnadamata lamma raawoo al'athaba waqudiya baynahum bialqisti wahum la yuthlamoona (al-Yūnus 10:54)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि प्रत्येक अत्याचारी व्यक्ति के पास वह सब कुछ हो जो धरती में है, तो वह अर्थदंड के रूप में उसे दे डाले। जब वे यातना को देखेंगे तो मन ही मन में पछताएँगे। उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार न होगा
English Sahih:
And if each soul that wronged had everything on earth, it would offer it in ransom. And they will confide regret when they see the punishment; and they will be judged in justice, and they will not be wronged. ([10] Yunus : 54)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (दुनिया में) जिस जिसने (हमारी नाफरमानी कर के) ज़ुल्म किया है (क़यामत के दिन) अगर तमाम ख़ज़ाने जो जमीन में हैं उसे मिल जाएँ तो अपने गुनाह के बदले ज़रुर फिदया दे निकले और जब वह लोग अज़ाब को देखेगें तो इज़हारे निदामत करेगें (शर्मिंदा होंगे) और उनमें बाहम इन्साफ़ के साथ हुक्म दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा (बराबर ज़ुल्म न किया जाएगा