وَلِكُلِّ اُمَّةٍ رَّسُوْلٌ ۚفَاِذَا جَاۤءَ رَسُوْلُهُمْ قُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ( يونس: ٤٧ )
And for every
وَلِكُلِّ
और वास्ते हर
nation
أُمَّةٍ
उम्मत के
(is) a Messenger
رَّسُولٌۖ
एक रसूल है
So when
فَإِذَا
फिर जब
comes
جَآءَ
आ जाता है
their Messenger
رَسُولُهُمْ
रसूल उनका
it will be judged
قُضِىَ
फ़ैसला कर दिया जाता है
between them
بَيْنَهُم
दर्मियान उनके
in justice
بِٱلْقِسْطِ
साथ इन्साफ़ के
and they
وَهُمْ
और वो
(will) not
لَا
नहीं वो ज़ुल्म किए जाते
be wronged
يُظْلَمُونَ
नहीं वो ज़ुल्म किए जाते
Walikulli ommatin rasoolun faitha jaa rasooluhum qudiya baynahum bialqisti wahum la yuthlamoona (al-Yūnus 10:47)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
प्रत्येक समुदाय के लिए एक रसूल है। फिर जब उनके पास उनका रसूल आ जाता है तो उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाता है। उनपर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाता
English Sahih:
And for every nation is a messenger. So when their messenger comes, it will be judged between them in justice, and they will not be wronged. ([10] Yunus : 47)