قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَاۤىِٕكُمْ مَّنْ يَّهْدِيْٓ اِلَى الْحَقِّۗ قُلِ اللّٰهُ يَهْدِيْ لِلْحَقِّۗ اَفَمَنْ يَّهْدِيْٓ اِلَى الْحَقِّ اَحَقُّ اَنْ يُّتَّبَعَ اَمَّنْ لَّا يَهِدِّيْٓ اِلَّآ اَنْ يُّهْدٰىۚ فَمَا لَكُمْۗ كَيْفَ تَحْكُمُوْنَ ( يونس: ٣٥ )
Qul hal min shurakaikum man yahdee ila alhaqqi quli Allahu yahdee lilhaqqi afaman yahdee ila alhaqqi ahaqqu an yuttaba'a amman la yahiddee illa an yuhda fama lakum kayfa tahkumoona (al-Yūnus 10:35)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'क्या तुम्हारे ठहराए साझीदारों में कोई है जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे?' कहो, 'अल्लाह ही सत्य के मार्ग पर चलाता है। फिर जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करता हो, वह इसका ज़्यादा हक़दार है कि उसका अनुसरण किया जाए या वह जो स्वयं ही मार्ग न पाए जब तक कि उसे मार्ग न दिखाया जाए? फिर यह तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसे फ़ैसले कर रहे हो?'
English Sahih:
Say, "Are there of your 'partners' any who guides to the truth?" Say, "Allah guides to the truth. So is He who guides to the truth more worthy to be followed or he who guides not unless he is guided? Then what is [wrong] with you – how do you judge?" ([10] Yunus : 35)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल उनसे) कहो तो कि तुम्हारे (बनाए हुए) शरीकों में से कोई ऐसा भी है जो तुम्हें (दीन) हक़ की राह दिखा सके तुम ही कह दो कि (ख़ुदा) दीन की राह दिखाता है तो जो तुम्हे दीने हक़ की राह दिखाता है क्या वह ज्यादा हक़दार है कि उसके हुक्म की पैरवी की जाए या वह शख़्श जो (दूसरे) की हिदायत तो दर किनार खुद ही जब तक दूसरा उसको राह न दिखाए राह नही देख पाता तो तुम लोगों को क्या हो गया है