فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰيٰتِهٖۗ اِنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الْمُجْرِمُوْنَ ( يونس: ١٧ )
So who
فَمَنْ
तो कौन
(is) more wrong
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
than he who
مِمَّنِ
उससे जो
invents
ٱفْتَرَىٰ
गढ़ ले
against
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
a lie
كَذِبًا
झूठ
or
أَوْ
या
denies
كَذَّبَ
वो झुठलाए
His Signs?
بِـَٔايَٰتِهِۦٓۚ
उसकी आयात को
Indeed
إِنَّهُۥ
बेशक वो
not
لَا
नहीं वो फ़लाह पाते
will succeed
يُفْلِحُ
नहीं वो फ़लाह पाते
the criminals
ٱلْمُجْرِمُونَ
जो मुजरिम हैं
Faman athlamu mimmani iftara 'ala Allahi kathiban aw kaththaba biayatihi innahu la yuflihu almujrimoona (al-Yūnus 10:17)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो अल्लाह पर थोपकर झूठ घड़े या उसकी आयतों को झुठलाए? निस्संदेह अपराधी कभी सफल नहीं होते
English Sahih:
So who is more unjust than he who invents a lie about Allah or denies His signs? Indeed, the criminals will not succeed. ([10] Yunus : 17)