Wain kaththabooka faqul lee 'amalee walakum 'amalukum antum bareeoona mimma a'malu waana bareeon mimma ta'maloona
और यदि वे तुझे झुठलाएँ तो कह दो, 'मेरा कर्म मेरे लिए है और तुम्हारा कर्म तुम्हारे लिए। जो कुछ मैं करता हूँ उसकी ज़िम्मेदारी से तुम बरी हो और जो कुछ तुम करते हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ।'
Waminhum man yastami'oona ilayka afaanta tusmi'u alssumma walaw kanoo la ya'qiloona
और उनमें बहुत-से ऐसे लोग है जो तेरी ओर कान लगाते है। किन्तु क्या तू बहरों को सुनाएगा, चाहे वे समझ न रखते हों?
Waminhum man yanthuru ilayka afaanta tahdee al'umya walaw kanoo la yubsiroona
और कुछ उनमें ऐसे हैं, जो तेरी ओर ताकते हैं, किन्तु क्या तू अंधों का मार्ग दिखाएगा, चाहे उन्हें कुछ सूझता न हो?
Inna Allaha la yathlimu alnnasa shayan walakinna alnnasa anfusahum yathlimoona
अल्लाह तो लोगों पर तनिक भी अत्याचार नहीं करता, किन्तु लोग स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते है
Wayawma yahshuruhum kaan lam yalbathoo illa sa'atan mina alnnahari yata'arafoona baynahum qad khasira allatheena kaththaboo biliqai Allahi wama kanoo muhtadeena
जिस दिन वह उनको इकट्ठा करेगा तो ऐसा जान पड़ेगा जैसे वे दिन की एक घड़ी भर ठहरे थे। वे परस्पर एक-दूसरे को पहचानेंगे। वे लोग घाटे में पड़ गए, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया और वे मार्ग न पा सके
Waimma nuriyannaka ba'da allathee na'iduhum aw natawaffayannaka failayna marji'uhum thumma Allahu shaheedun 'ala ma yaf'aloona
जिस चीज़ का हम उनसे वादा करते है उसमें से कुछ चाहे तुझे दिखा दें या हम तुझे (इससे पहले) उठा लें, उन्हें तो हमारी ओर लौटकर आना ही है। फिर जो कुछ वे कर रहे है उसपर अल्लाह गवाह है
Walikulli ommatin rasoolun faitha jaa rasooluhum qudiya baynahum bialqisti wahum la yuthlamoona
प्रत्येक समुदाय के लिए एक रसूल है। फिर जब उनके पास उनका रसूल आ जाता है तो उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाता है। उनपर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाता
Wayaqooloona mata hatha alwa'du in kuntum sadiqeena
वे कहते है, 'यदि तुम सच्चे हो तो यह वादा कब पूरा होगा?'
Qul la amliku linafsee darran wala naf'an illa ma shaa Allahu likulli ommatin ajalun itha jaa ajaluhum fala yastakhiroona sa'atan wala yastaqdimoona
कहो, 'मुझे अपने लिए न तो किसी हानि का अधिकार प्राप्त है और न लाभ का, बल्कि अल्लाह जो चाहता है वही होता है। हर समुदाय के लिए एक नियत समय है, जब उनका नियत समय आ जाता है तो वे न घड़ी भर पीछे हट सकते है और न आगे बढ़ सकते है।'
Qul araaytum in atakum 'athabuhu bayatan aw naharan matha yasta'jilu minhu almujrimoona
कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर उसकी यातना रातों रात या दिन को आ जाए तो (क्या तुम उसे टाल सकोगे?) वह आख़िर कौन-सी चीज़ होगी जिसके लिए अपराधियों को जल्दी पड़ी हुई है?